बम्बई की गोधुली

थका हुआ, घर लौटता परिंदा
 मेरी खिड़की पर दो पल ठहरा होगा
वरना इस गोधुली में और कौन आवाज़ देगा 

ये आबाद शहर का वीरान सफ़र है
मत पूछो कौन डगर है, मत सोचो कौन किधर है
ये गोधुली का वक़्त है, ये गोधुली का वक़्त है
 

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