CHAAR YAAR (aakhri bhaag)
(ऑन पापुलर डिमांड)
रीकैप
पिछले भाग में हमने देखा की किस तरह साक्षी और तेजस अपनी नाकाबलीयत को अपनी किस्मत ता तारा बनाते हैं . बुरी नीयत के बावजूद वो दोनों तेलेंतेड स्लम डाग्स बनते हैं. अब आगे का फलैशबेक
MERA GAON MERE DOST (आखरी भाग)
ये मेरे कॉलेज का पहला साल था, मेरी बदसूरती की वजह से मैं इर्षा (क्लास की चुलबुली ईशा नहीं) की पात्र थी, मेरी केवल एक (यो) दोस्त थी नीलाक्षी. एक दिन मैं गुमसुम, नदी के किनारे अकेली बैठ कर गा रही थी - स्मैक दैट आल ऑन द फ्लोर , स्मैक दैट गिव मी सम मोर - ( In hindsight, my choice of song sucked - even if I had to sing Akon, should have been the लोनली song - Moving on) तभी एक विशालकाय पेड़ के पीछे से चिल्लाने की आवाज़ आई "ऑफ की" "ऑफ की" - किसी भी नोर्मल मनुष्य की तरह मेरा डर जाना लाजमी था. तभी मैं खौफ भरी नज़रों से देखती हूँ की दो अध् नर अध् नारी मेरी तरफ बढ़ रहे हैं - मुझे जल्द ही अपने डर से मुक्ति मिल गयी - मैंने फुतुरे क्रिस्टल गेंद (FUTURE CRYSTAL BALL) में देखा की ये दोनों आने वाले समय में बहुत ही तेलेंटेड स्लम डाग्स बनेगे- मैंने तुरंत ही एक मनमोहिनी स्त्री का रूप धारण कर लिया - ये जानते हुए की इन्हें नर मांस की बुरी लत है मैंने साक्षी, तेजस से तात्काल दोस्ती कर ली.
हमारे रिश्ते काफी घनिष्ट होते चले गए इसी बीच मेरी बूढी दादी ने तार भिजवाया की पौड़ी की पहाड़ियों में बसे मेरे गाँव में एक खूंखार बाघ की किल्लत है और पानी का आतंक. छुट्टी मिलते ही मैं पौड़ी क़े लिए रवाना हो गई ( साधारण मनुष्य से विशिष्ट मनुष्य की पोशाक में). मेरी गैर मौजूदगी में साक्षी और तेजस ने दो सफ़ेद बतखें वसुंधरा ( मोटी) और रुचिका (छोटी) पाल ली थी. (आई टूक लाइकिंग फॉर द फेट वन)
मोटी बतख काफी मोटी थी, वह नाचने में अव्वल रहती. वह जन्मों कि भूकी थी . अपने रूप से वह अब तक काफी कौवों को आकर्षित कर चुकी है. परतु दिमाग खा जाने की वजह से वह यह नहीं समझती कि सफ़ेद बतख और कौवों का क्या मेल. बतख ऊँची बिल्डिंग में रहती थी और मैं बड़े ठाकुर की हवेली में मजदूर थी- मेरे साथी मुझे काफी प्रिय होने लगे क्योंकि उन्हें मेरे साम्प्रदायिक होने पर और मेरे सोने के बिस्कुटों कि तस्करी करने पर कोई ऐतराज़ नहीं था - जाती, धर्म कि बुनियादी दीवारों के बावजूद भी हम चारों चोरों कि अनुकूल दोस्ती हो गयी जो आने वाले वक़्त में दुनिया भर के विशेषज्ञों के लिए सरदर्द का सबब बनने वाली थी
हमने तीन साल इस तरह बिताये - हमे शिकार करना बेहद पसंद था - हम हसीं लड़कियों, जवान लड़कों, महंगी कारों, अधेड़ उम्र के टीचरों (प्रेफेरब्ली घने बालों वाले) का शिकार करते, उनकी खिल्ली उड़ाते - हम घंटो दस रुपए के लाल राजमा और सफ़ेद चावल के गठे खाकर शोर मचाते . हमारा सारा समय कनटीन में बीतने लगा जबकी हमारे साथी गण डिपार्टमेंट कि टोइलेट सीट्स साफ़ करने के विषय में अव्वल आने लगे - पर हमे कोई फरक नहीं पडा ( आज जब हमारे साथी गण बड़ी बड़ी कंपनियों के बड़े बड़े मालिक हैं तब हमे बेहद शर्म आती है - इसिलए हमने दाढ़ी और मूछ उगा रखी है)
तु बी कनटीन्यूड ......
रीकैप
पिछले भाग में हमने देखा की किस तरह साक्षी और तेजस अपनी नाकाबलीयत को अपनी किस्मत ता तारा बनाते हैं . बुरी नीयत के बावजूद वो दोनों तेलेंतेड स्लम डाग्स बनते हैं. अब आगे का फलैशबेक
MERA GAON MERE DOST (आखरी भाग)
ये मेरे कॉलेज का पहला साल था, मेरी बदसूरती की वजह से मैं इर्षा (क्लास की चुलबुली ईशा नहीं) की पात्र थी, मेरी केवल एक (यो) दोस्त थी नीलाक्षी. एक दिन मैं गुमसुम, नदी के किनारे अकेली बैठ कर गा रही थी - स्मैक दैट आल ऑन द फ्लोर , स्मैक दैट गिव मी सम मोर - ( In hindsight, my choice of song sucked - even if I had to sing Akon, should have been the लोनली song - Moving on) तभी एक विशालकाय पेड़ के पीछे से चिल्लाने की आवाज़ आई "ऑफ की" "ऑफ की" - किसी भी नोर्मल मनुष्य की तरह मेरा डर जाना लाजमी था. तभी मैं खौफ भरी नज़रों से देखती हूँ की दो अध् नर अध् नारी मेरी तरफ बढ़ रहे हैं - मुझे जल्द ही अपने डर से मुक्ति मिल गयी - मैंने फुतुरे क्रिस्टल गेंद (FUTURE CRYSTAL BALL) में देखा की ये दोनों आने वाले समय में बहुत ही तेलेंटेड स्लम डाग्स बनेगे- मैंने तुरंत ही एक मनमोहिनी स्त्री का रूप धारण कर लिया - ये जानते हुए की इन्हें नर मांस की बुरी लत है मैंने साक्षी, तेजस से तात्काल दोस्ती कर ली.
हमारे रिश्ते काफी घनिष्ट होते चले गए इसी बीच मेरी बूढी दादी ने तार भिजवाया की पौड़ी की पहाड़ियों में बसे मेरे गाँव में एक खूंखार बाघ की किल्लत है और पानी का आतंक. छुट्टी मिलते ही मैं पौड़ी क़े लिए रवाना हो गई ( साधारण मनुष्य से विशिष्ट मनुष्य की पोशाक में). मेरी गैर मौजूदगी में साक्षी और तेजस ने दो सफ़ेद बतखें वसुंधरा ( मोटी) और रुचिका (छोटी) पाल ली थी. (आई टूक लाइकिंग फॉर द फेट वन)
मोटी बतख काफी मोटी थी, वह नाचने में अव्वल रहती. वह जन्मों कि भूकी थी . अपने रूप से वह अब तक काफी कौवों को आकर्षित कर चुकी है. परतु दिमाग खा जाने की वजह से वह यह नहीं समझती कि सफ़ेद बतख और कौवों का क्या मेल. बतख ऊँची बिल्डिंग में रहती थी और मैं बड़े ठाकुर की हवेली में मजदूर थी- मेरे साथी मुझे काफी प्रिय होने लगे क्योंकि उन्हें मेरे साम्प्रदायिक होने पर और मेरे सोने के बिस्कुटों कि तस्करी करने पर कोई ऐतराज़ नहीं था - जाती, धर्म कि बुनियादी दीवारों के बावजूद भी हम चारों चोरों कि अनुकूल दोस्ती हो गयी जो आने वाले वक़्त में दुनिया भर के विशेषज्ञों के लिए सरदर्द का सबब बनने वाली थी
हमने तीन साल इस तरह बिताये - हमे शिकार करना बेहद पसंद था - हम हसीं लड़कियों, जवान लड़कों, महंगी कारों, अधेड़ उम्र के टीचरों (प्रेफेरब्ली घने बालों वाले) का शिकार करते, उनकी खिल्ली उड़ाते - हम घंटो दस रुपए के लाल राजमा और सफ़ेद चावल के गठे खाकर शोर मचाते . हमारा सारा समय कनटीन में बीतने लगा जबकी हमारे साथी गण डिपार्टमेंट कि टोइलेट सीट्स साफ़ करने के विषय में अव्वल आने लगे - पर हमे कोई फरक नहीं पडा ( आज जब हमारे साथी गण बड़ी बड़ी कंपनियों के बड़े बड़े मालिक हैं तब हमे बेहद शर्म आती है - इसिलए हमने दाढ़ी और मूछ उगा रखी है)
तु बी कनटीन्यूड ......
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i'll be waiting.. :D