To, Swanand Kirkire


दुआ सलाम,

मेरा नाम आस्था है और मैं उत्तराखंड के एक बूढ़े से पहाड़ पर बसे छोटे से गाँव नैथाना से हूँ। इसके अलावा मेरे बारे में सब कुछ मामूली है। अव्वल तो नाम में भी कुछ ख़ास नहीं, हाँ लेकिन यह नाम मुझपर बैठाना - जैसे मेरे वालदैन और हालातों का मुझपर मुनफ़रिद सी चुटकी लेना. क्यूंकि मैं बहुत कुछ हूँ पर आस्था ही नहीं।


दूसरा मेरा गाँव नैथाना - जो हर गाँव की तरह वीरान है, हर खेत की तरह उजाड़, हर पेड़ की तरह खामोश.
इस गाँव की  खासियत यही है की उसपर बैठे बड़े से ताले के बावजूद वो आज भी मौजूद सा है।
खैर,  मेरी मामूलियत के पन्ने  पर आपकी एक तारीख डली हुई है. नंगे पन्ने पर तेज़ स्याही से लिखी तारीख. आपका ज़िक्र पहली बार हज़ारों खुवाहिशों के जनाज़े पर किसी बावरे से मन ने किया। उस गाने की प्रशंसा नहीं करूंगी, वो आपने बहुत सुनी और पढ़ी होगी,  लेकिन उस गीत का मुझ पर जो असर हुआ, उसका ज़िक्र किए बिना इस
हर्फ़ का मायना नहीं।

पहली बार, रेडियो पर सुना- मुंदी हुई आँखों से आपको गाते हुए देखा। बोल के हिसाब से ज़हन में विडियो बनता गया. आप मुस्कुराते रहे. फिर गीत ख़त्म हो गया. मेरी आँखें फिर भी मुंदी रही, रेडियो अब भी चल रहा था पर मुझ तक नहीं पहुँच रहा था। मैं अब अपने बहुत अन्दर आचुकी थी। थोडा अँधेरा और थोडा पानी था जो बदस्तूर  बहना चाहता था, कामयाब भी हुआ। लेकिन वो अँधेरा बहुत जिद्दी था। वो नया बिलकुल नहीं था पर अक्सर भी नहीं था। मेरी रूह अब बहुत कमज़ोर हो गयी और पानी का तेवर और सख्त। 
आप अब भी मुस्कुरा रहे थे, मेरी तह जलते देख खुश हो रहे थे। क्यूंकि शायद वो आप थे ही नहीं, वो मैं थी।

ये गीत मैंने लिखा।
ये मैं हूँ।
आप तो केवल माध्यम हैं।
ये मेरा गीत है। ये आप तक कैसे पहुंचा?
इसके बोल ज़रूर आपके हैं, पर इसके खांचे मेरे हैं,
इसका दर्द मेरा  है, 
इसकी जवानी मेरी है,
इसकी झिझक मेरी है,
इसकी हंसी मेरी है
इसके सपने मेरे हैं
इसकी गंध मेरी है
इसकी रीत मेरी है. ये गीत मैंने भुला दिया था.
पत्थरों से भरे टीन के डब्बे में बिना चिट्ठी के,  इस गीत को मैंने दरिया में डुबो दिया था। ये गीत आपने मुझे क्यूँ लौटा दिया।

कई और नगमों के बाद एक फनकार को सोचा किया। वो टूटे तारों को बोता है और उनकी फसल भी काटता है. नगमों को जन्म देता है  उन्हें घर भी पहुंचाता है।  वो फनकार बहुत जाना सा है बहुत बार इबादत में दिखता है। बहुत आप जैसा दिखता है, आप जैसा लिखता है, आप जैसा गाता है। 


अपने होने से मेरे होने तक के लिए शुक्रिया
मेरा गीत लौटाने के लिए बहुत शुक्रिया.


बावरा  मन.

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